21 Mar 2015

Ayatullah Khamenei ka Nae Shamsi Saal 1394 ka paigham

नए हिजरी शम्सी साल 1394 के उपलक्ष्य में राष्ट्र के नाम संदेश 

 بسم ‌الله ‌الرّحمن ‌الرّحيم‌

يا مقلّب القلوب و الابصار، يا مدبّر اللّيل و النّهار، يا محوّل الحول و الاحوال،حوّل حالنا الی احسن الحال.
السّلام علی فاطمة و ابيها و بعلها و بنيها.

नए साल का आरंभ, हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा की शहादत के दिनों के अवसर पर हुआ है। पैग़म्बर के ख़ानदान और महान रसूल की सुपुत्री से हमारी जनता की गहरी श्रद्धा और प्रेम के कुछ तक़ाज़े हैं, सबको चाहिए कि इन तक़ाज़ों का ध्यान रखें और निश्चित रूप से लोग ध्यान रखेंगे। आशा है कि यह दिन और यह साल हज़रत फ़ातेमा की बरकतों से सुसज्जित और संपन्न होंगे और सन 1394 (हिजरी शम्सी बराबर 21 मार्च 2015 से 20 मार्च 2016) में इस महान हस्ती के पवित्र नाम और उनके स्मरण के गहरे और स्थायी प्रभाव हमारी जनता के जीवन पर पड़ेंगे। हमारी प्रार्थना है कि प्रकृति के बसंत की शुरुआत जो हिजरी शम्सी साल की शुरुआत भी है, ईरानी जनता और उन सभी राष्ट्रों के लिए जो नौरोज़ मनाते हैं, मंगलमय हो। मैं हज़रत इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम की सेवा में विनम्रतापूर्वक सलाम पेश करता हूं और इस अवसर पर स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हम आशा करते हैं कि महान ईश्वर इन पवित्र आत्माओं की दुआओं की बरकतों से हमें लाभान्वित करेगा। हम एक संक्षिप्त जायज़ा सन 1393 (हिजरी शम्सी बराबर 21 मार्च 2014 से 20 मार्च 2015 तक) का लेंगे और इस समय शुरू हो रहे साल पर भी नज़र डालेंगे।

वर्ष 1393 (हिजरी शम्सी) हमारे देश के लिए आंतरिक स्तर पर भी और बाहरी एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े महत्वपूर्ण परिवर्तनों और घटनाओं का साल रहा। कुछ चुनौतियों का सामना रहा, कुछ प्रगति भी हुई। इन्हीं चुनौतियों के दृष्टिगत हमने वर्ष 1393 (हिजरी शम्सी) की शुरुआत में इसका नाम राष्ट्रीय संकल्प और संघर्षपूर्ण प्रबंध का साल रखा। सन 1393 (हिजरी शम्सी) में जो कुछ पेश आया उसकी समीक्षा करने पर हमें यह दिखाई देता है कि राष्ट्रीय संकल्प ईश्वर की कृपा से विदित रूस से दिखाई दिया।

ईरानी जनता ने उन कठिनाइयों को सहन करने के संबंध में जो उसे पेश आईं, सशक्त संकल्प का प्रदर्शन किया और 22 बहमन (बराबर 11 फ़रवरी को इस्लामी क्रान्ति की वर्षगांठ) के अवसर पर, क़ुद्स दिवस पर और इस साल इमाम हुसैन के चेहलुम के भव्य जुलूसों में भी इस संकल्प और साहस का प्रदर्शन किया। संघर्षपूर्ण प्रबंध भी कुछ क्षेत्रों में स्पष्ट और विदित रहा। जहां संघर्षपूर्ण प्रबंध देखा गया वहां हमें प्रगति भी दिखाई दी। अलबत्ता यह अनुशंसा केवल 1393 (हिजरी शम्सी) तक सीमित नहीं है। जारी वर्ष में भी और आने वाले सभी वर्षों में भी हमारी जनता को राष्ट्रीय संकल्प की भी ज़रूरत है और संघर्षपूर्ण प्रबंध की भी आवश्यकता है।

सन 1393 (हिजरी शम्सी बराबर 21 मार्च 2015 से 20 मार्च 2016) में प्यारे देशवासियों के लिए हमारी कुछ कामनाएं हैं और यह सारी कामनाएं पहुंच के भीतर हैं। इस साल राष्ट्र के लिए हमारी कामनाओं में आर्थिक विकास है, क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठा और मज़बूत स्थिति है, सही अर्थों में वैज्ञानिक क्षेत्र में तेज़ विकास है, न्यायपालिका और अर्थ व्यवस्था की सतह पर बराबरी है इसी प्रकार ईमान और आध्यात्मिकता है जो सबसे महत्वपूर्ण तथा अन्य लक्ष्यों के लिए सहायक भी है। हमारी नज़र में यह सभी लक्ष्य और कामनाएं पहुंच के भीतर हैं। इनमें कोई भी चीज़ ऐसी नहीं है जो ईरानी जनता की क्षमताओं तथा इस्लामी व्यवस्था के सामर्थ्य के बाहर हो। हमारी क्षमताएं अपार हैं। इस संदर्भ में कहने के लिए कुछ बातें हैं जिनमें महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख शनिवार की शाम के भाषण में किया जाएगा।

इस समय अपने प्रिय देशवासियों की सेवा में जो बात कहनी है वह यह है कि यह क्षमताएं हमारी पहुंच के भीतर तो हैं किंतु इसकी कुछ शर्तें हैं। एक महत्वपूर्ण शर्त, राष्ट्र और सरकार के बीच निष्ठापूर्ण सहयोग है। यदि दोनों ओर से यह निष्ठापूर्ण सहयोग हो तो निश्चित रूप से वह सभी चीज़ें जो हमारी कामनाओं में शामिल हैं, हमारी पहुंच में आ जाएंगी और उनके प्रभावों को जनता अपनी आँखों से देखेगी।

सरकार, जनता की सेवक है और जनता सरकार की मालिक है। जनता और सरकार के बीच, निष्ठा, सहयोग, सहृदयता जितनी अधिक होगी, काम उतने ही अच्छे अंदाज़ में आगे बढ़ेंगे। दोनों एक दूसरे पर विश्वास करें। सरकार भी सही अर्थों में जनता को महत्व दे, राष्ट्र की क्षमताओं और उसके महत्व एवं मूल्य को सही प्रकार से स्वीकार करे। देशवासी भी सरकार पर जो उनके कामों को अंजाम देने के लिए कार्यरत है, सही अर्थ में भरोसा करें। इस संदर्भ में भी मुझे कुछ बातें कहनी हैं और कुछ अनुशंसाएं करनी हैं।

ईश्वर की इच्छा रही तो अपने भाषण में उनकी ओर भी संकेत करुंगा। अतः मेरी नज़र में इस साल को सरकार और जनता के बीच व्यापक सहयोग का साल समझना चाहिए। मैंने इस साल के लिए इस नारे का चयन किया हैः सरकार और जनता, सहृदयता और एक आवाज़! मैं आशा करता हूं कि यह नारा व्यवहारिक होगा और इस नारे के दोनों पलड़े अर्थात हमारी प्रिय जनता, हमारी महान जनता, हमरी साहसी और बहादुर राष्ट्र, हमारी बुद्धिमान एवं समझदार जनता, इसी प्रकार सेवारत सरकार दोनों इस नारे पर सही अर्थों में अमल करेंगे और इसके प्रभाव और प्रतिफल दिखाई देंगे।

महान ईश्वर से देश के सभी मामलों में प्रगति की प्रार्थना करता हूं और पालनहार की सेवा में लोगों की सेवा में सफलता की दुआ मांगता हूं।

वस्सलाम अलैकुल व रहमतुल्लाहे व बरकातोहू

Source: Hindi.irib.ir

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नए हिजरी शम्सी साल 1394 के उपलक्ष्य में राष्ट्र के नाम संदेश 

 بسم ‌الله ‌الرّحمن ‌الرّحيم‌

يا مقلّب القلوب و الابصار، يا مدبّر اللّيل و النّهار، يا محوّل الحول و الاحوال،حوّل حالنا الی احسن الحال.
السّلام علی فاطمة و ابيها و بعلها و بنيها.

नए साल का आरंभ, हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा की शहादत के दिनों के अवसर पर हुआ है। पैग़म्बर के ख़ानदान और महान रसूल की सुपुत्री से हमारी जनता की गहरी श्रद्धा और प्रेम के कुछ तक़ाज़े हैं, सबको चाहिए कि इन तक़ाज़ों का ध्यान रखें और निश्चित रूप से लोग ध्यान रखेंगे। आशा है कि यह दिन और यह साल हज़रत फ़ातेमा की बरकतों से सुसज्जित और संपन्न होंगे और सन 1394 (हिजरी शम्सी बराबर 21 मार्च 2015 से 20 मार्च 2016) में इस महान हस्ती के पवित्र नाम और उनके स्मरण के गहरे और स्थायी प्रभाव हमारी जनता के जीवन पर पड़ेंगे। हमारी प्रार्थना है कि प्रकृति के बसंत की शुरुआत जो हिजरी शम्सी साल की शुरुआत भी है, ईरानी जनता और उन सभी राष्ट्रों के लिए जो नौरोज़ मनाते हैं, मंगलमय हो। मैं हज़रत इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम की सेवा में विनम्रतापूर्वक सलाम पेश करता हूं और इस अवसर पर स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हम आशा करते हैं कि महान ईश्वर इन पवित्र आत्माओं की दुआओं की बरकतों से हमें लाभान्वित करेगा। हम एक संक्षिप्त जायज़ा सन 1393 (हिजरी शम्सी बराबर 21 मार्च 2014 से 20 मार्च 2015 तक) का लेंगे और इस समय शुरू हो रहे साल पर भी नज़र डालेंगे।

वर्ष 1393 (हिजरी शम्सी) हमारे देश के लिए आंतरिक स्तर पर भी और बाहरी एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े महत्वपूर्ण परिवर्तनों और घटनाओं का साल रहा। कुछ चुनौतियों का सामना रहा, कुछ प्रगति भी हुई। इन्हीं चुनौतियों के दृष्टिगत हमने वर्ष 1393 (हिजरी शम्सी) की शुरुआत में इसका नाम राष्ट्रीय संकल्प और संघर्षपूर्ण प्रबंध का साल रखा। सन 1393 (हिजरी शम्सी) में जो कुछ पेश आया उसकी समीक्षा करने पर हमें यह दिखाई देता है कि राष्ट्रीय संकल्प ईश्वर की कृपा से विदित रूस से दिखाई दिया।

ईरानी जनता ने उन कठिनाइयों को सहन करने के संबंध में जो उसे पेश आईं, सशक्त संकल्प का प्रदर्शन किया और 22 बहमन (बराबर 11 फ़रवरी को इस्लामी क्रान्ति की वर्षगांठ) के अवसर पर, क़ुद्स दिवस पर और इस साल इमाम हुसैन के चेहलुम के भव्य जुलूसों में भी इस संकल्प और साहस का प्रदर्शन किया। संघर्षपूर्ण प्रबंध भी कुछ क्षेत्रों में स्पष्ट और विदित रहा। जहां संघर्षपूर्ण प्रबंध देखा गया वहां हमें प्रगति भी दिखाई दी। अलबत्ता यह अनुशंसा केवल 1393 (हिजरी शम्सी) तक सीमित नहीं है। जारी वर्ष में भी और आने वाले सभी वर्षों में भी हमारी जनता को राष्ट्रीय संकल्प की भी ज़रूरत है और संघर्षपूर्ण प्रबंध की भी आवश्यकता है।

सन 1393 (हिजरी शम्सी बराबर 21 मार्च 2015 से 20 मार्च 2016) में प्यारे देशवासियों के लिए हमारी कुछ कामनाएं हैं और यह सारी कामनाएं पहुंच के भीतर हैं। इस साल राष्ट्र के लिए हमारी कामनाओं में आर्थिक विकास है, क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठा और मज़बूत स्थिति है, सही अर्थों में वैज्ञानिक क्षेत्र में तेज़ विकास है, न्यायपालिका और अर्थ व्यवस्था की सतह पर बराबरी है इसी प्रकार ईमान और आध्यात्मिकता है जो सबसे महत्वपूर्ण तथा अन्य लक्ष्यों के लिए सहायक भी है। हमारी नज़र में यह सभी लक्ष्य और कामनाएं पहुंच के भीतर हैं। इनमें कोई भी चीज़ ऐसी नहीं है जो ईरानी जनता की क्षमताओं तथा इस्लामी व्यवस्था के सामर्थ्य के बाहर हो। हमारी क्षमताएं अपार हैं। इस संदर्भ में कहने के लिए कुछ बातें हैं जिनमें महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख शनिवार की शाम के भाषण में किया जाएगा।

इस समय अपने प्रिय देशवासियों की सेवा में जो बात कहनी है वह यह है कि यह क्षमताएं हमारी पहुंच के भीतर तो हैं किंतु इसकी कुछ शर्तें हैं। एक महत्वपूर्ण शर्त, राष्ट्र और सरकार के बीच निष्ठापूर्ण सहयोग है। यदि दोनों ओर से यह निष्ठापूर्ण सहयोग हो तो निश्चित रूप से वह सभी चीज़ें जो हमारी कामनाओं में शामिल हैं, हमारी पहुंच में आ जाएंगी और उनके प्रभावों को जनता अपनी आँखों से देखेगी।

सरकार, जनता की सेवक है और जनता सरकार की मालिक है। जनता और सरकार के बीच, निष्ठा, सहयोग, सहृदयता जितनी अधिक होगी, काम उतने ही अच्छे अंदाज़ में आगे बढ़ेंगे। दोनों एक दूसरे पर विश्वास करें। सरकार भी सही अर्थों में जनता को महत्व दे, राष्ट्र की क्षमताओं और उसके महत्व एवं मूल्य को सही प्रकार से स्वीकार करे। देशवासी भी सरकार पर जो उनके कामों को अंजाम देने के लिए कार्यरत है, सही अर्थ में भरोसा करें। इस संदर्भ में भी मुझे कुछ बातें कहनी हैं और कुछ अनुशंसाएं करनी हैं।

ईश्वर की इच्छा रही तो अपने भाषण में उनकी ओर भी संकेत करुंगा। अतः मेरी नज़र में इस साल को सरकार और जनता के बीच व्यापक सहयोग का साल समझना चाहिए। मैंने इस साल के लिए इस नारे का चयन किया हैः सरकार और जनता, सहृदयता और एक आवाज़! मैं आशा करता हूं कि यह नारा व्यवहारिक होगा और इस नारे के दोनों पलड़े अर्थात हमारी प्रिय जनता, हमारी महान जनता, हमरी साहसी और बहादुर राष्ट्र, हमारी बुद्धिमान एवं समझदार जनता, इसी प्रकार सेवारत सरकार दोनों इस नारे पर सही अर्थों में अमल करेंगे और इसके प्रभाव और प्रतिफल दिखाई देंगे।

महान ईश्वर से देश के सभी मामलों में प्रगति की प्रार्थना करता हूं और पालनहार की सेवा में लोगों की सेवा में सफलता की दुआ मांगता हूं।

वस्सलाम अलैकुल व रहमतुल्लाहे व बरकातोहू

Source: Hindi.irib.ir

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