14 May 2017

Rangeele VP ka chunavi Paintra...

हमारे देश मे चुनाव का बड़ा महत्व माना जाता है और इसीलिए चुनाव को हर शहर, ज़िले, राज्य, लोकसभा यहां तक सामाजिक काम करने वाले NGO में भी ज़रूरी रखा गया है।

चुनाव से बड़े बड़े मसले झगड़े और हाथापाई के बगैर हल हो सकते है और बड़ी सरलता से समाज मे एडमिनिस्ट्रेशन लाया जा सकता है।

देश के बड़े शहर की ऐसी ही एक NGO में चुनाव होने थे। जमात के VP साहब को अपने प्रत्याशी को जितना ज़रूरी था। बस VP साहब ने सारी चुनावी प्रक्रिया को ही बदल दिया।



अपनी पसंद का इलेक्शन कमिश्नर रखा गया.. किसी को सही से चुनावी कागज़ात के बारे में बताया नही गया। VP साहब के प्रत्याशी को छोड़ दूसरे सभी लोगो के नामांकन को रद्द कर दिया गया।

और फिर क्या था... VP साहब के चहिते प्रत्याशी को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया। लोकतंत्र का ऐसा क़त्ल किसी दीनी इदारे में कभी किसी ने सोचा भी नही था। लेकिन ऐसा हुआ और लोगो ने इसे देखते हुए भी अपनी आँखें बंद कर ली।

किसी ने सही कहा है "सच को ज़्यादा नुकसान झुटे लोगो ने नही बल्कि झूठ को होता देख आंखे बंद करने वालो ने पहुंचाया है"।

फिर क्या था... VP साहब का विजयी रथ हर उस जगह जाने लगा जहाँ जहाँ के लोगो ने उनके प्रतिषयी को वोट देने का वादा किया था। 20 20 लाख रुपयो के डोनेशन दिए जाने लगे। हर तरफ लोग VP साहब का सत्कार कर रहे थे और जीने का अधिकार सिर्फ VP साहब और उनके चहितो को ही दिया जाने लगा था।

अगर कोई विरोध करता या किसी तरह का कोई सवाल उठता तो उसे बेइज़्ज़त किया जाता... चाहे फिर वो सवाल उठाने वाला दीनी तालिबे इल्म ही क्यों नही होता।

दीनी मरकज़ की इस सियासत में दीन (मज़हब) सबसे बुरी तरह रौंदा जा रहा था और दीनी मरकज़ सियासत के अखाड़े बन रहे थे। कही मोमेनीन की एक शहर में दो जमाते बनाई जा रही थी और कही सवाल उठाने वाले तालिबे इल्मो को तक बदनाम करने की कोशिश की जा रही थी।

आप को तो अपने VP साहब के किरदार का तो पता हमारे पिछले लेख "रंगीला VP" में चल ही गया होगा।

अब सवाल ये उठते है:
 
  • VP साहब को लोकतंत्र को नुकसान पहुचने का क्या हक़ है?
  • क्या VP साहब के किये हुए अमल पर उंगली उठाना गलत काम है?
  • दीनी काम में VP साहब हुज्जत है या ओलेमा और तालिबे इल्म?
  • जो 20 20 लाख रुपयो का कमिटमेंट VP साहब उनके सपोर्ट करने वालो को दिए है वो रुपये उनके खुद के है या मज़हब के नाम पर जमा किये गए है
  • अगर मज़हब के नाम पर जमा हुए है तो VP साहब किस हक़ से इसे अपने सपोर्टर्स के प्रोजेक्ट्स पर लगा रहे है?

सवाल कड़वे ज़रूर है लेकिन आज नही तो कल VP साहब और उनके चाहनेवालो को इसका जवाब ज़रूर देना होगा।

Tehrir: Abbas Hindi

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हमारे देश मे चुनाव का बड़ा महत्व माना जाता है और इसीलिए चुनाव को हर शहर, ज़िले, राज्य, लोकसभा यहां तक सामाजिक काम करने वाले NGO में भी ज़रूरी रखा गया है।

चुनाव से बड़े बड़े मसले झगड़े और हाथापाई के बगैर हल हो सकते है और बड़ी सरलता से समाज मे एडमिनिस्ट्रेशन लाया जा सकता है।

देश के बड़े शहर की ऐसी ही एक NGO में चुनाव होने थे। जमात के VP साहब को अपने प्रत्याशी को जितना ज़रूरी था। बस VP साहब ने सारी चुनावी प्रक्रिया को ही बदल दिया।



अपनी पसंद का इलेक्शन कमिश्नर रखा गया.. किसी को सही से चुनावी कागज़ात के बारे में बताया नही गया। VP साहब के प्रत्याशी को छोड़ दूसरे सभी लोगो के नामांकन को रद्द कर दिया गया।

और फिर क्या था... VP साहब के चहिते प्रत्याशी को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया। लोकतंत्र का ऐसा क़त्ल किसी दीनी इदारे में कभी किसी ने सोचा भी नही था। लेकिन ऐसा हुआ और लोगो ने इसे देखते हुए भी अपनी आँखें बंद कर ली।

किसी ने सही कहा है "सच को ज़्यादा नुकसान झुटे लोगो ने नही बल्कि झूठ को होता देख आंखे बंद करने वालो ने पहुंचाया है"।

फिर क्या था... VP साहब का विजयी रथ हर उस जगह जाने लगा जहाँ जहाँ के लोगो ने उनके प्रतिषयी को वोट देने का वादा किया था। 20 20 लाख रुपयो के डोनेशन दिए जाने लगे। हर तरफ लोग VP साहब का सत्कार कर रहे थे और जीने का अधिकार सिर्फ VP साहब और उनके चहितो को ही दिया जाने लगा था।

अगर कोई विरोध करता या किसी तरह का कोई सवाल उठता तो उसे बेइज़्ज़त किया जाता... चाहे फिर वो सवाल उठाने वाला दीनी तालिबे इल्म ही क्यों नही होता।

दीनी मरकज़ की इस सियासत में दीन (मज़हब) सबसे बुरी तरह रौंदा जा रहा था और दीनी मरकज़ सियासत के अखाड़े बन रहे थे। कही मोमेनीन की एक शहर में दो जमाते बनाई जा रही थी और कही सवाल उठाने वाले तालिबे इल्मो को तक बदनाम करने की कोशिश की जा रही थी।

आप को तो अपने VP साहब के किरदार का तो पता हमारे पिछले लेख "रंगीला VP" में चल ही गया होगा।

अब सवाल ये उठते है:
 
  • VP साहब को लोकतंत्र को नुकसान पहुचने का क्या हक़ है?
  • क्या VP साहब के किये हुए अमल पर उंगली उठाना गलत काम है?
  • दीनी काम में VP साहब हुज्जत है या ओलेमा और तालिबे इल्म?
  • जो 20 20 लाख रुपयो का कमिटमेंट VP साहब उनके सपोर्ट करने वालो को दिए है वो रुपये उनके खुद के है या मज़हब के नाम पर जमा किये गए है
  • अगर मज़हब के नाम पर जमा हुए है तो VP साहब किस हक़ से इसे अपने सपोर्टर्स के प्रोजेक्ट्स पर लगा रहे है?

सवाल कड़वे ज़रूर है लेकिन आज नही तो कल VP साहब और उनके चाहनेवालो को इसका जवाब ज़रूर देना होगा।

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